Surajkund Mela 2025: इस बार मेला है खास, सुरजकुंड मेले की प्रमुख बातें

Surajkund Mela 2025: सुरजकुंड मेला, जो 1987 में शुरू हुआ था, इस बार 7 फरवरी से 23 फरवरी तक आयोजित किया जा रहा है। इस मेले का उद्देश्य भारतीय हस्तशिल्प, संस्कृति और कारीगरी को बढ़ावा देना है। हर साल यह मेला दुनियाभर से कारीगरों और कलाकारों को एक मंच प्रदान करता है। हर साल बढ़ते हुए पर्यटकों और शिल्पकारों के लिए यह मेला एक महत्वपूर्ण व्यापारिक अवसर बनता जा रहा है।
सुरजकुंड मेले की प्रमुख बातें
इस बार सुरजकुंड मेले में 42 देशों के 648 प्रतिभागी हिस्सा ले रहे हैं। मेलें का आयोजन सुबह 10:30 बजे से रात 8:30 बजे तक होगा। पिछले कुछ वर्षों से यह मेला लगातार अपने आकार और प्रभाव में वृद्धि कर रहा है, और इसे देखने वाले पर्यटकों की संख्या भी बढ़ी है।
टिकट और पार्किंग शुल्क
सुरजकुंड मेला में प्रवेश के लिए टिकट की कीमत weekdays (सोमवार से शुक्रवार) में ₹120 और weekends (शनिवार और रविवार) में ₹180 रखी गई है। टिकट दिल्ली मेट्रो रेलवे कॉर्पोरेशन (DMRC) के सहयोग से उपलब्ध हैं और ये मेट्रो स्टेशनों और मेले के स्थल पर भी खरीदे जा सकते हैं। इसके अलावा, दिल्ली मेट्रो की Momentum 2.0 ऐप के माध्यम से भी टिकट खरीदे जा सकते हैं।
पार्किंग शुल्क में भी कोई बदलाव नहीं किया गया है। कारों के लिए पार्किंग शुल्क ₹100 (सोमवार से शुक्रवार) और ₹200 (शनिवार और रविवार) है, जबकि दोपहिया वाहनों के लिए ₹50 का शुल्क लिया जाएगा।
NABARD से जुड़ी कारीगरी का व्यापार
सुरजकुंड मेला में NABARD (नेशनल बैंक फॉर एग्रीकल्चर एंड रूरल डेवलपमेंट) से जुड़े लगभग 125 कारीगर, बुनकर और शिल्पकार भी हिस्सा ले रहे हैं। इन कारीगरों को मेला में अन्य राज्यों से भी ऑर्डर मिल रहे हैं, जिससे उनके व्यापार में वृद्धि हो रही है। उदाहरण स्वरूप, अभिव्यक्ति फाउंडेशन के स्टॉल पर महिला कारीगरों द्वारा बनाए गए जयपुरी रजाइयां, बेडशीट और जूट बैग बिक रहे हैं। फाउंडेशन के संस्थापक शैलेन्द्र सिंह का कहना है कि उन्हें इस मेले से एक बड़ा बाजार मिला है।
खाद्य पदार्थों की विविधता
मेले में केवल शिल्पकला का ही नहीं, बल्कि भारतीय राज्यों के पारंपरिक व्यंजनों का भी आनंद लिया जा सकता है। खासतौर पर राजस्थान, गुजरात, हरियाणा, तमिलनाडु, पंजाब और ओडिशा तथा मध्य प्रदेश जैसे राज्यों के स्वादिष्ट व्यंजन मेले में उपलब्ध होंगे। यह मेले के एक और आकर्षण का हिस्सा है, जहां स्वाद और संस्कृति का अद्भुत संगम देखने को मिलता है।
संस्कृतिक कार्यक्रमों की धूम
सुरजकुंड मेला में हर दिन विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। उद्घाटन समारोह की शुरुआत मणिपुर के प्रसिद्ध पुंगचालम नृत्य से हुई, जिसमें राधा कृष्ण की रासलीला का प्रदर्शन किया गया। इसके बाद, हरियाणा के कलाकारों ने घूमर नृत्य की प्रस्तुति दी, और साथ ही केरल की कथकली, लद्दाख के कलाकारों की मास्क प्रस्तुति, राजस्थान के चारी और भावई नृत्य, सिक्किम के सिंगिचाम नृत्य, उत्तर प्रदेश के कथक नृत्य, और पंजाब का भंगड़ा सब ने दर्शकों का मन मोह लिया।
ओडिशा और मध्य प्रदेश का सांस्कृतिक रंग
सुरजकुंड मेला में ओडिशा और मध्य प्रदेश को इस बार थीम राज्य के रूप में शामिल किया गया है। ओडिशा के कलाकार अपने पल संकीर्तन कला के माध्यम से भारतीय संस्कृति और कला को प्रदर्शित कर रहे हैं। यह कला हिंदू महाकाव्यों और पुराणों की कहानियों के आधार पर होती है, जिसमें संगीत, नृत्य और नाटक का अद्भुत संयोजन होता है।
थाईलैंड की ज्वैलरी का आकर्षण
थाईलैंड के कारीगरों का ज्वैलरी और हस्तशिल्प का सामान इस बार के मेले में खास आकर्षण का केंद्र बन रहा है। थाई डीडी ग्रुप के सदस्य कमिम, बरेमडा और जेनिफर ने कहा कि यह उनका पांचवां साल है, जब वे सुरजकुंड मेला में हिस्सा ले रहे हैं। उनका कहना है कि यहां का माहौल और व्यापार का अनुभव अन्य देशों से कहीं बेहतर है। उनके स्टॉल पर कान की बालियां, हेयर क्लिप्स, रंगीन हेयर बैंड, बैग्स और मोबाइल फोन कवर जैसी चीजें बिक्री के लिए उपलब्ध हैं।
साइबर क्राइम के प्रति जागरूकता अभियान
इस बार सुरजकुंड मेला में साइबर क्राइम के प्रति जागरूकता अभियान भी चलाया जा रहा है। पुलिस टीम यहां पर आने वाले पर्यटकों और व्यापारियों को साइबर सुरक्षा के बारे में जानकारी दे रही है। विशेष रूप से बच्चों को ऑनलाइन गेमिंग, सोशल मीडिया पर जानकारी शेयर करने और संदिग्ध लिंक से बचने की सलाह दी जा रही है।
सुरजकुंड मेला सिर्फ एक बाजार नहीं, बल्कि सांस्कृतिक धरोहर, कला, शिल्प और भारतीय परंपरा का अद्भुत संगम है। इस मेले में हर साल आने वाले पर्यटकों को भारतीय संस्कृति, व्यंजनों और कारीगरी का अद्वितीय अनुभव मिलता है। सुरजकुंड मेला भारत के सांस्कृतिक धरोहर को वैश्विक मंच पर प्रस्तुत करने का एक बेहतरीन अवसर है।